मंगलवार, 26 जुलाई 2011

.......!!!!!!!!!!.इज़हार-ऐ-ख़याल.!!!!!!!!!.........

माना की हमें इल्म नहीं, पर वो भी समझदार कहाँ
टूटी-फूटी जो कह पाये, उस पे भी उन्हें इख्तियार कहाँ |

गुरुवार, 21 जुलाई 2011

.......!!!! रात-जगा !!!!.........

कल सरेरात तुमको सोंचता रहा
पा फ़लक के सितारे आँकता रहा

सामनें छत पे आ जाए मेंरा चाँद
शब-ऐ-तर झरोखे से झाँकता रहा

आज फिर इस ग़ली से गुज़रेंगे वो
ब़ाब पे दस्तक़-ऐ-शोर चाहता रहा

दिल पे मरक़ूम सारी इबारतों को
होंटों से बारहा गुनगुनाता रहा

'क़ल्ब' बे राह-रवी से चलते रहा
दर-ब-दर की नसीहत फाँकता रहा

रविवार, 17 जुलाई 2011

......!!!! इंतेज़ारी !!!!.......

सूरतें हों वस्ल की यक, इंतेज़ारी में रहें
ता उम्र पस आक्बत तक, इंतेज़ारी में रहें

आँखें हैं अश्क़-आमेज़ और ज़बीं सज़दानशीं
बुत के मेहरबां होने तक, इंतेज़ारी में रहें

जो वो आयें बज़्म में इश्फ़ाकन चराग़ हो रौशन
वरना पुर-नम दीद सहर तक, इंतेज़ारी में रहें

ता उम्र इश्क़-ओ-ज़हान परख्ती है आज़ारों से
इम्तिहाँ के इन्तिहाँ तक, इंतेज़ारी में रहें

वर्क़-दर-वरक़ सुनाया 'क़ल्ब' दिले-रुदाद
इक़रार-ऐ-इज़हार तक, इंतेज़ारी में रहें