मेहशूस होता है कुछ ऐसा ,
छुप के बैठा है कोई , दिल में,
हर - इक धड़कन पे दस्तक देता हुआ |
हर - इक जुंबिश पे उठती है ,
दिल में हजारन मीठी कशक,
चाक - ए - ज़िगर करता हुआ |
लगाये है दौर मीलों की ,
दस्तकीं को खोजता हुआ |
भागते थक चूका अब ,
न आजमा और ,
सामने आ अब्र से बरसता हुआ |
न आजमा और ,
सामने आ अब्र से बरसता हुआ |
कौन दस्तक दे रहा है .....!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर , काफी अच्छी लगी ..........!!