सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

valentine day special

है कुबूल ! इश्क में फ़ना होना , बेवफाई कभी गवारा नहीं |
जैसे साहिल पे है फ़ना मौज , सागर का आगोश प्यारा नहीं ||

जैसे सहर से मिलती सब्नम , शबे-हिज्र  के बाद |
बस पल -दो -पल के लिए , चाँद को रहगुजर बनाया नहीं ||

जैसे जिस्म कोआती है नींद , मौत के दामन में |
ता उम्र क़ोसिस की , ज़ीस्त ने कभी अपनाया नहीं ||

स्वदेसी

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